आशादेवी आर्यनायकम की जीवनी Biography of Asha Devi Aryanayakam in hindi


प्रारंभिक जीवनी :

आशादेवी का जन्म 1 जनवरी 1901 को लाहौर मे हुआ था | उनके पिता भूषण अधिकारी और माता सरजुबला देवी दोनों शिक्षाविद और धर्मनिष्ठा, धार्मिक लोग थे | जो भक्ति पंथ को मानते थे | उसके पिता दिल्ली मे प्रोफेसर थे | उन्होने आपना बचपन लाहौर और फिर बादम मे बनारस मे बिताया | बनारस स्कूल नही थी | उनकी मॉ ने उच्छे शैक्षिक अवसर थे लेकिन कोई बंगाली माध्यम स्कूल नही था | उनकी मॉ ने उन्हे बंगाली के साथ साथ संगीत भी सिखाया | मैट्रिक मे सफल उम्मीदवारों की सूची मे वह शीर्ष पर रही |  अखबार के पत्रकार उसकी तस्वीर और विवरण लेने के लिए दौडते हुए आए | लेकिन उसके पिता को पब्लिसिटी पसंद नही थी

 उन्होने यह कहते हुए वापर भेज दिया कि यह अध्यायन करना प्रत्येक छात्र का कर्तव्या |  उच्च् अंको को जीवन मे एक बडी उपलब्धि नही माना जाना चाहिए |  प्रचार की संभावना है की छात्र अपने कर्तव्या को भूल जाए | उसकी कॉलेज की पढाई भी घर पर हुई थी | उसके लिए एक संगीत शिक्षक कार्यरत था | उसने बहुत कुछ पढा, खासकर बंगाली साहित्या है |  बी ए की परिक्षा के दौरान अंधा हो साकता है | वह दुविधा मे थी | अंत मे उसकी मॉ ने इसका हल ढुंड लिया | 

नाम : आशादेवी आर्यनायकम
जनम दि : 1 जनवरी 1901
ठिकाण : पाकिस्तान
व्यवसाय : शिक्षाविद
मर गए : 1 जनवरी 1972

 उसने अपनी बेटी को पाठ पढाया वह फर्स्ट डिवीजन मे पास हुई |  सरकार ने उन्हे इंग्लैंड मे उच्च् अध्यायन के लिए जाने के लिए छात्रवृत्ति की पेशकश की थी | वह सिर्फ सोलह साल की थी | और माता पिता उसे अब तक भेजना पसंद नही करते थे |  उसने एमार, प्रथम श्रेणी मे भी, बनारस मे उत्तीर्ण किया और बनारस मे महिला कॉलेज मे व्याख्याता बन गई थी | 30 जून 1970 को नागपूर मे उनका निधन हो गया |

आशादेवी आर्यनायकम की जीवनी  Biography of Asha Devi Aryanayakam in hindi



कार्य :


एक भारतीय स्वातंत्रता सेनानी शिक्षा विद और गणधर थे | वह महात्मा गांधी के सेवाग्राम और विनोबा भावे के भूदान आंदोलन से निकटता से जुडी थी | उसने शांतिनिकेतन मे लडकियों की देखभाल करने की जिम्मेदारी ली और वह उस परिवार मे चली गई | शुरुआत मे उन्होंने मारवाडी  विदयालय मे काम किया |  लेकिन बाद मे नई तालीम के आदर्शो को अपनाया और हिंदूस्तानी तालीमी संध मे काम किया है |

पुरस्कार और सम्मान :


1) भारत सरकार ने उन्हे 1954 मे समाज  मे उनके योगदान के लिए चौथा सर्वोच्च् भारतीय नागरिक पुरस्कार पदमश्री के पुरस्कार से सम्मानित किया गया |

पुस्तके :


1) आशादेवी अख्याक्रम ने दो कामो के प्रकिाशत किया
2) द टीचर गांधी

एडमंड हिलारी जीवनी

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