एडमंड हिलारी जीवनी Biography of Edmund Hillary in Hindi

जुलाई 20, 1919 को न्यूजीलैंड मे जन्मे सर एडमंड हिलेरी, केजी, ओएनजेड, केबीई, एक पर्वतारोही एवं खोजकर्त्ता थे। एवरेस्ट शिखर पर सर्वप्रथम पहुंचकर सुरक्षित वापस आने वाले हिलेरी एवं शेरपा तेन जिंग नोर्वे ही थे जिसे उन्होंने मई 29, 1953 को पूरा किया। वे लोग जॉन हंट के नेतृत्व में एवरेस्ट पर 9वीं चढ़ाई में भाग ले रहे थे।

सर एडमंड हिलेरी निसंदेह 87 वर्षीय वृद्ध हो गए हैं फिर भी उनका हौंसला आज भी माउंट एवरेस्ट की तरह अडिग है। शेरपा तेनज़िंग नोर्गे के साथ 1953 में एवरेस्ट पर विजय प्राप्त करने वाले न्यूज़ीलैंड निवासी एडमंड हिलेरी का कदम 8850 मीटर ऊँचे एवरेस्ट पर किसी मानव का पहला कदम माना जाता है। हिलेरी सारी दुनिया के हीरो हैं परन्तु वे स्वयं को किसी प्रकार से हीरो न मानकर एक साधारण व्यक्ति मानते हैं।

हिमालय जैसी ऊँची कद-काठी के हिलेरी का दिल भी हिमालय से कम विशाल नहीं है। हिमालय के लोगों की भलाई के लिए कई स्कूल, हस्पताल व हवाई अड्डे का निर्माण करवाने वाले हिलेरी अपनी दूसरी पत्नी लेडी जून हिलेरी के साथ आकलैंड में सादगी से रहते हैं।

हिमालय ने जहाँ हिलेरी को विश्वप्रसिद्ध बनाया उसी हिमालय में हिलेरी ने अपनी पहली पत्नी और एक बेटी को खोया भी है। उनकी पहली पत्नी लुईस और बेटी बलिंडा का हेलिकाप्टर दुर्घटना में 1975 में नेपाल में देहांत हो गया था। वे उस समय हेलिकाप्टर से न्यूज़ीलैंड की सहायता से बनाए गए एक हस्पताल में काम करने के लिए उत्तरी नेपाल में स्थित लुकाला जा रहीं थीं।  हिमालय हिलेरी के सुख-दुख का भागीदार रहा है। हिमालय के बारे में सर एडमंड हिलेरी कहते हैं, “मैंने वहाँ बहुत सुखद क्षण भी बिताए है और दुखद भी। व्यक्ति को अपना संग्राम जारी रखना चाहिए।”

इन दिनों अपने स्वास्थ्य की वजह से सर हिलेरी ने बातचीत करना कुछ कम कर दिया है। मेरे यह बताने पर कि आऊटलुक का यह अँक ‘हिमालय विशेषाँक’ होगा और उनके बिना तो ‘हिमालय विशेषाँक’ जैसे अधूरा ही रह जाएगा, उनका यह हिमालय प्रेम ही तो है कि बहुत अच्छा स्वास्थ्य न होते हुए भी वे सहर्ष साक्षात्कार के लिए सहमत हो गए।

एडमंड हिलारी

वर्ष 1950, 1960-61 तथा वर्ष 1963-65 के अपने अभियानों में हिलेरी ने हिमालय के 10 अन्य शिखरों पर चढ़ाई की। जनवरी 4, 1958 को न्यूजीलैंड प्रभाग का नेतृत्व करते हुए कॉमनवेल्थ अन्टार्कटिका पार यात्रा में भाग लेते हुए वे दक्षिणी ध्रुव पर भी पहुंचे। वर्ष 1977 में गंगा नदी के मुहाने से इसके उद्गम तक की यात्रा जेटबोट पर जाते हुए उन्होंने जत्थे का नेतृत्व भी किया। वर्ष 1985 में हिलेरी नील आर्मस्ट्रांग के साथ आर्कटिक महासागर के ऊपर एक छोटे दो इंजन युक्त वायुयान से उत्तरी ध्रुव पर भी उतरे। इस प्रकार दोनों ध्रुवों पर एवं एवरेस्ट पर जाने वाले वे प्रथम व्यक्ति थे। उसी वर्ष हिलेरी को भारत, नेपाल एवं बांग्लादेश के लिये न्यूजीलैंड का उच्चायुक्त नियुक्त किया गया जहां वे साढ़े चार वर्षों तक रहे।

उन्होंने अपने जीवन का बड़ा भाग हिमालयन ट्रस्ट के द्वारा नेपाल के शेरपाओं की सहायता में बिताया। इस ट्रस्ट की स्थापना उन्होंने स्वयं की थी और अपना काफी समय एवं श्रम इसमें लगाया था। हिमालय के इस निर्जन क्षेत्र में कई स्कूलों एवं अस्पतालों को बनवाने एवं चलाने में वे सफल हुए।

द्वितीय विश्व युद्ध

द्वितीय विश्व युद्ध के प्रकोप के बाद, हिलेरी ने रॉयल न्यूजीलैंड वायु सेना (आरएनज़एएफ) में शामिल होने के लिए आवेदन किया था, लेकिन इसे मानने से पहले आवेदन वापस ले लिया गया था, क्योंकि उन्हें “धार्मिक विवेक से परेशान” किया गया था। 1 9 43 में, प्रशांत में जापानी खतरे और आभारी होने के आगमन ने अंततः अपने शांततावादी झुकाव को कम कर दिया; हिलेरी आरएनझेडएएफ में नंबर 6 स्क्वाड्रन आरएनजीएएएफ में सेवारत एक नाविक के रूप में और फिर कैटालिना उड़ान नौकाओं पर नंबर 5 स्क्वाड्रन आरएनजीएएफ में शामिल हो गए। 1 9 45 में, उन्हें फिजी और सोलोमन द्वीपसमूह भेज दिया गया था, जहां वह एक नाव दुर्घटना में बुरी तरह से जलाया गया था और न्यूज़ीलैंड में वापस आ गया था।

अभियान

30 जनवरी 1 9 48 को, माइक सुलिवन के साथ, हैरी आयेर ने, न्यूज़ीलैंड की सबसे ऊंची चोटी के आओकी / माउंट कुक के दक्षिण रिज पर हिलेरी और रूथ एडम्स का नेतृत्व किया।

1 9 51 में, हिलेरी 1 9 53 में सफल ब्रिटिश प्रयासों में शामिल होने से पहले, एरिक शिपटन की अगुवाई में एवरेस्ट के ब्रिटिश अभियान में शामिल हुए थे। 1 9 52 में, हिलेरी और जॉर्ज लोव एरिक शिपटन की अगुवाई वाली ब्रिटिश टीम का हिस्सा थे, जिसने चो ओयू का प्रयास किया था। नेपाल की ओर से मार्ग की कमी के कारण उस प्रयास के असफल होने के बाद, हिलेरी और लोवे ने तिब्बत में नूप ला को पार कर दिया और उत्तर की ओर पुराने शिविर द्वितीय पर पहुंच गया, जहां सभी युद्ध-पूर्व अभियानों में छापा मारा गया।

एडमंड हिलारी जीवनी  Biography of Edmund Hillary in Hindi

एवरेस्ट विजय अभियान 1953

1953 Everest expedition से पहले Edmund Hillary एडमंड हिलेरी ने 30 जनवरी 1948 को न्यूजीलैंड की सबसे उची चोटी माउंट कुक पर अपने साथी Mick Sullivan के साथ चढाई की | हिलेरी 1951 के एवरेस्ट अभियान का भी हिस्सा था जिसका नेतृत्व एरिक शिफ़टन कर रहे थे |  1952 में भी वो ब्रिटिश एवरेस्ट अभियान का हिस्सा थे लेकिन गलत रास्ते की वजह से वो चोटी तक नही पहुच पाए थे | उस समय तिब्बत और नेपाल द्वारा जाने वाले एवरेस्ट के रास्ते को साल में एक अभियान के लिए ही खोला जाता था इसलिए 1952 में एक Swiss expedition , जिसमे तेनजिंग भी शामिल थे , एवरेस्ट पर चढ़ा था लेकिन खराब मौसम की वजह से एवरेस्ट चोटी पर पहुचने से पहले ही लौट आया |

1953 में फिर ब्रिटिश अभियान दल को एवरेस्ट पर चढाई का अवसर मिला और इस बार वो पुरी तैयारी के साथ इस अभियान में आये थे | अब इस अभियान दल का नेतृत्व जॉन हंट कर रहे थे जो इससे पहले सात एवरेस्ट अभियानों का नेतृत्व कर चुके थे | Edmund Hillary हिलेरी की शुरवात में Lowe के साथ चढने की इच्छा थी लेकिन बाद में चढाई के लिए उन्होंने दो टीम बनाई | पहली टीम में Tom Bourdillon और Charles Evans जबकि  दुसरी टीम में Edmund Hillary हिलेरी और तेनजिंग को रखा गया | Edmund Hillary हिलेरी ने अब तेनजिंग के साथ दोस्ती बनाना शुरू कर दिया | जॉन हंट के इस अभियान दल में 400 लोगो ने हिस्सा लिया था जिसमे 362 केवल बोझा ढोने वाले शेरपा थे जिनको 4500 किलो सामान उपर पहचाना था

नेल्सन मंडेला जीवनी

Leave a comment