कन्फ्यूशियस की जीवनी Biography of Confucius in Hindi

इतिहासकार स्ज़ेमा चिएन के मतानुसार कन्फ़्यूशियस का जन्म 550 ई. पू. में हुआ। उनका जातीय नाम ‘कुंग’ था। कुंग फूत्से का लातीनी स्वरूप ही कन्फ़्यूशियस है, जिसका अर्थ होता है- ‘दार्शनिक कुंग’। वर्तमान ‘शांतुंग’ कहलाने वाले प्राचीन लू प्रदेश का वह निवासी था, और उसका पिता ‘शू-लियागहीह’ त्साऊ ज़िले का सेनापति था। कन्फ़्यूशियस का जन्म अपने पिता की वृद्धावस्था में हुआ था, जो उसके जन्म के तीन वर्ष के उपरांत ही स्वर्गवासी हो गया। पिता की मृत्यु के पश्चात्‌ उसका परिवार बड़ी कठिन परिस्थितियों में फँस गया, जिससे उसका बाल्यकाल बड़ी ही आर्थिक विपन्नता में व्यतीत हुआ। परंतु उसने अपनी इस निर्धनता को ही आगे चलकर अपनी विद्वता तथा विभिन्न कलाओं में दक्षता का कारण बनाया। जब वह केवल पाँच वर्ष का था, तभी से अपने साथियों के साथ जो खेल खेलता, उसमें धार्मिक संस्कारों तथा विभिन्न कलाओं के प्रति उसकी अभिरुचि स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती थी।

53 वर्ष की उम्र में लू राज्य में एक शहर के वो शाषनकर्ता और बाद में मंत्री पद पर भी नियुक्त हो गये | मंत्री होने के नाते उन्होंने दंड के बदले मनुष्य के चरित्र सुधार पर बल दिया | Confucius कन्फ्यूशियस ने अपने शिष्यों को सत्य ,प्रेम और न्याय का संदेश दिया | वो सदाचार पर अधिक बल देते थे | वो लोगो को विनयी ,परोपकारी ,गुणी और चरित्रवान बनने की प्रेरणा देते थे | वो बडो एवं पूर्वजो का आदर-सम्मान करने के लिए कहते थे | वो कहते थे कि दुसरो के साथ वैसा बर्ताव ना करो , जैसा तुम अपने साथ स्वयं नही करना चाहते हो |

Confucius कन्फ्यूशियस एक समाज सुधारक थे धर्म प्रचारक नही | उन्होंने ईश्वर के बारे में कोई उपदेश नही दिया , परन्तु फिर भी बाद में लोग उन्हें धार्मिक गुरु मानने लगे थे | उनकी मृत्यु 480 ईस्वी पूर्व हुयी थी | कन्फ्यूशियस के समाज सुधारक उपदेशो के कारण चीनी समाज में के स्थिरता आई थी |Confucius कंफ्यूशियस का दर्शन शास्त्र आज भी चीनी शिक्षा के लिए पथ प्रदर्शक बना हुआ है | Confucius कांफ्युसिय्स सदैव सदाचार और दर्शन की बाते करते थे | वो देवताओ और इश्वर के बारे में ज्यादा बात नही करते थे | यह धार्मिक प्रणाली कभी चीनी साम्राज्य का राजधर्म हुआ करती थी |

इस मत के अनुसार शासक का धर्म आज्ञा देंना और शाशित का कर्तव्य उस आज्ञा का पालन करना है | इसी प्रकार पिता ,पति और बड़े भाई का धर्म आदेश देना है और पुत्र ,पत्नी एवं छोटे भाई का कर्तव्य आदेशो का पालन करना है |

विद्यालय की स्थापना

22 वर्ष की अवस्था में कन्फ़्यूशियस ने एक विद्यालय की स्थापना की। इसमें ऐसे युवक और प्रौढ़ शिक्षा ग्रहण करते थे, जो सदाचरण एवं राज्य संचालन के सिद्धांतों में पारंगत होना चाहते थे। अपने शिष्यों से वह यथेष्ट आर्थिक सहायता लिया करता था। परंतु कम से कम शुल्क दे सकने वाले विद्यार्थी को भी वह अस्वीकार नहीं करता था; किंतु साथ ही ऐसे शिक्षार्थियों को भी वह अपने शिक्षा केंद्र में नहीं रखता था, जिनमें शिक्षा और ज्ञान के प्रति अभिरुचि तथा बौद्धिक क्षमता नहीं होती थी।

कनफ़ूशस् की रचनाएँ

कनफ़ूशस् ने कभी भी अपने विचारों को लिखित रूप देना आवश्यक नहीं समझा। उसका मत था कि वह विचारों का वाहक हो सकता है, उनका स्रष्टा नहीं। वह पुरातत्व का उपासक था, कयोंकि उसका विचार था कि उसी के माध्यम से यथार्थ ज्ञान प्राप्त प्राप्त हो सकता है। उसका कहना था कि मनुष्य को उसके समस्त कार्यकलापों के लिए नियम अपने अंदर ही प्राप्त हो सकते हैं। न केवल व्यक्ति के लिए वरन् संपूर्ण समाज के सुधार और सही विकास के नियम और स्वरूप प्राचीन महात्माओं के शब्दों एवं कार्यशैलियों में प्राप्त हो सकते हैं। कनफ़ूशस् ने कोई ऐसा लेख नहीं छोड़ा जिसमें उसके द्वारा प्रतिपादित नैतिक एवं सामाजिक व्यवस्था के सिद्धांतों का निरूपण हो। किन्तु उसके पौत्र त्जे स्जे द्वारा लिखित ‘औसत का सिद्धांत’ (अंग्रेजी अनुवाद, डाक्ट्रिन ऑव द मीन) और उसके शिष्य त्साँग सिन द्वारा लिखित ‘महान् शिक्षा’ (अंग्रेजी अनुवाद, द ग्रेट लर्निंग) नामक पुस्तकों में तत्संबंधी समस्त सूचनाएँ प्राप्त होती हैं। ‘बसंत और पतझड़’ (अंग्रेजी अनुवाद, स्प्रिंग ऐंड आटम) नामक एक ग्रंथ, जिसे लू का इतिवृत्त भी कहते हैं, कनफ़ूशस् का लिखा हुआ बताया जाता है। यह समूची कृति प्राप्त है और यद्यपि बहुत छोटी है तथापि चीन के संक्षिप्त इतिहासों के लिए आदर्श मानी जाती है।

शिष्य मंडली

कनफ़ूशस् के शिष्यों की संख्या सब मिलाकर प्राय: ३,००० तक पहुँच गई थी, किंतु उनमें से ७५ के लगभग ही उच्च कोटि के प्रतिभाशाली विद्वान् थे। उसके परम प्रिय शिष्य उसके पास ही रहा करते थे। वे उसके आसपास श्रद्धापूर्वक उठते-बैठते थे और उसके आचरण की सूक्ष्म विशेषताओं पर ध्यान दिया करते थे तथा उसके मुख से निकली वाणी के प्रत्येक शब्द को हृदयंगम कर लेते और उसपर मनन करते थे। वे उससे प्राचीन इतिहास, काव्य तथा देश की सामजिक प्रथाओं का अध्ययन करते थे।

कन्फ्यूशियस की जीवनी  Biography of Confucius in Hindi

अनमोल विचार

1.उस काम का चयन कीजिये जिसे आप पसंद करते हों, फिर आप पूरी ज़िन्दगी एक दिन भी काम नहीं करंगे.

2.बुद्धि, करुणा,और साहस, व्यक्ति के लिए तीन सार्वभौमिक मान्यता प्राप्त नैतिक गुण हैं.

3.हम तीन तरीकों से ज्ञान अर्जित कर सकते हैं. पहला, चिंतन करके, जो कि सबसे सही तरीका है. दूसरा , अनुकरण करके,जो कि सबसे आसान है, और तीसरा अनुभव से ,जो कि सबसे कष्टकारी है.

4. नफरत करना आसान है, प्रेम करना मुश्किल. चीजें इसी तरह काम करती हैं. सारी अच्छी चीजों को  पाना मुश्किल होता है,और बुरी चीजें बहुत आसानी से मिल जाती हैं.

4. महानता कभी ना गिरने में नहीं है, बल्कि हर बार गिरकर उठ जाने में है.

5.सफलता पहले से की गयी तयारी पर निर्भर है,और बिना ऐसी तयारी के असफलता निश्चित है.

6.बुराई को देखना और सुनना ही बुराई की शुरुआत  है.

7.जो आप खुद नहीं पसंद करते उसे दूसरों पर मत थोपिए.

8.मैं सुनता हूँ और भूल जाता हूँ , मैं देखता हूँ और याद रखता हूँ, मैं करता हूँ और समझ जाता हूँ.

9. हर एक चीज में खूबसूरती होती है, लेकिन हर कोई उसे नहीं देख पाता.

10.एक शेर से ज्यादा एक दमनकारी सरकार से डरना चाहिए.11.एक श्रेष्ठ व्यक्ति कथनी में कम ,करनी में ज्यादा होता है.

नाओमी क्लेन की जीवनी

Leave a comment