रावण की जीवनी Biography of Ravan in Hindi (श्रीलंका )

रावण रामायण का एक केंद्रीय प्रतिचरित्र है। रावण लंका का राजा था। वह अपने दस सिरों के कारण भी जाना जाता था, जिसके कारण उसका नाम दशानन (दश = दस + आनन = मुख) भी था। किसी भी कृति के लिये नायक के साथ ही सशक्त खलनायक का होना अति आवश्यक है। रामकथा में रावण ऐसा पात्र है, जो राम के उज्ज्वल चरित्र को उभारने काम करता है। किंचित मान्यतानुसार रावण में अनेक गुण भी थे। शाकद्वीपीय ब्राह्मण पुलस्त्य ऋषि  का पौत्र और विश्रवा का पुत्र रावण एक परम शिव भक्त, उद्भट राजनीतिज्ञ , महापराक्रमी योद्धा , अत्यन्त बलशाली , शास्त्रों का प्रखर ज्ञाता ,प्रकान्ड विद्वान पंडित एवं महाज्ञानी था। रावण के शासन काल में लंका का वैभव अपने चरम पर था इसलिये उसकी लंकानगरी को सोने की लंका अथवा सोने की नगरी भी कहा जाता है।

रावण  की जीवनी Biography of Ravan in Hindi (श्रीलंका )

रावण का उदय

पद्मपुराण, श्रीमद्भागवत पुराण, कूर्मपुराण, रामायण, महाभारत, आनन्द रामायण, दशावतारचरित आदि ग्रंथों में रावण का उल्लेख हुआ है। रावण के उदय के विषय में भिन्न-भिन्न ग्रंथों में भिन्न-भिन्न प्रकार के उल्लेख मिलते हैं।

वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण महाकाव्य के अनुसार रावण लंकापुरी का सबसे शक्तिशाली राजा था।

    पद्मपुराण तथा श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार हिरण्याक्ष एवं हिरण्यकशिपु दूसरे जन्म में रावण और कुम्भकर्ण के रूप में पैदा हुए।

  वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण पुलस्त्य मुनि का पौत्र था अर्थात् उनके पुत्र विश्रवा का पुत्र था। विश्वश्रवा की वरवर्णिनी और कैकसी नामक दो पत्नियां थी। वरवर्णिनी के कुबेर को जन्म ,के बाद रावन पैदा हुऐ .

    तुलसीदास जी के रामचरितमानस में रावण का जन्म शाप के कारण हुआ था। वे नारद एवं प्रतापभानु की कथाओं को रावण के जन्म कारण बताते हैं।

रावण के दस सिर

रावण के दस सिर होने की चर्चा रामायण में आती है। वह कृष्णपक्ष की अमावस्या को युद्ध के लिये चला था तथा एक-एक दिन क्रमशः एक-एक सिर कटते हैं। इस तरह दसवें दिन अर्थात शुक्लपक्ष की दशमी को रावण का वध होता है। रामचरितमानस में यह भी वर्णन आता है कि जिस सिर को राम अपने बाण से काट देते हैं पुनः उसके स्थान पर दूसरा सिर उभर आता था। विचार करने की बात है कि क्या एक अंग के कट जाने पर वहाँ पुनः नया अंग उत्पन्न हो सकता है? वस्तुतः रावण के ये सिर कृत्रिम थे- आसुरी माया से बने हुये। मारीच का चाँदी के बिन्दुओं से युक्त स्वर्ण मृग बन जाना, रावण का सीता के समक्ष राम का कटा हुआ सिर रखना आदि से सिद्ध होता है कि राक्षस मायावी थे।

पौराणिक उल्लेख

    पद्म पुराण, श्रीमद्भागवत पुराण, कूर्म पुराण, रामायण, महाभारत, आनन्द रामायण, दशावतारचरित आदि ग्रंथों में रावण का उल्लेख हुआ है। रावण के उदय के विषय में भिन्न-भिन्न ग्रंथों में भिन्न-भिन्न प्रकार के उल्लेख मिलते हैं।

    पद्मपुराण तथा श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार हिरण्याक्ष एवं हिरण्यकशिपु दूसरे जन्म में रावण और कुंभकर्ण के रूप में पैदा हुए।

    वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण पुलस्त्य मुनि का पोता था अर्थात उनके पुत्र विश्रवा का पुत्र था। विश्रवा की वरवर्णिनी और कैकसी नामक दो पत्नियां थी। वरवर्णिनी के कुबेर को जन्म देने पर सौतिया डाह वश कैकसी ने कुबेला में गर्भ धारण किया। इसी कारण से उसके गर्भ से रावण तथा कुम्भकर्ण जैसे क्रूर स्वभाव वाले भयंकर राक्षस उत्पन्न हुये।

    तुलसीदास के रामचरितमानस में रावण का जन्म शाप के कारण हुआ था। वे नारद एवं प्रताप भानु की कथाओं को रावण के जन्म कारण बताते हैं।

रावण  की जीवनी Biography of Ravan in Hindi (श्रीलंका )

रोचक तथ्य

o   रावण के दादाजी का अनाम प्रजापति पुलत्स्य था जो ब्रह्मा जी के दस पुत्रो में से एक थे | इस तरह देखा जाए तो रावण ब्रह्मा जी का पडपौत्र हुआ जबकि उसने अपने पिताजी और दादाजी से हटकर धर्म का साथ न देकर अधर्म का साथ दिया था |

o   हिन्दू ज्योतिषशास्त्र में रावण संहिता को एक बहुत महत्वपूर्ण पुस्तक माना जाता है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि रावण संहिता की रचना खुद रावण ने की थी |

o   रामायण में एक जगह यह भी बताया गया है कि रावण में भगवान राम के लिए यज्ञ किया था | वो यज्ञ करना रावण के लिए बहुत जरुरी था क्योंकि लंका तक पहुचने के लिए जब राम जी की सेना ने पुल बनाना शुरू किया था तब शिवजी का आशीर्वाद पाने से पहले उसको राम जी का आराधना करनी पड़ी थी |

o   रावण तीनो लोगो का स्वामी था और उसने न केवल इंद्र लोग बल्कि भूलोक के भी एक बड़े हिस्से को अपने असुरो की ताकत बढाने के लिए कब्जा किया था |

o   रावण अपने समय का सबसे बड़ा विद्वान माना जाता है और रामायण में बताया गया है कि जब रावण मृत्यु शय्या पर लेटा हुआ था तब राम जी ने लक्ष्मण को उसके पास बैठने को कहा था ताकि वो मरने से पहले उनको राजपाट चलाने और नियन्त्रण करने के गुर सीखा सके |

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