कमला प्रसाद बिसेसर जीवनी Biography of Kamla Persad Bissessar in Hindi

कमला प्रसाद बिसेसर त्रिनिनाद एवं टोबैगो की वर्तमान प्रधानमंत्री हैं। वे भारतीय मूल की हैं। वे त्रिनिनाद एवं टोबैगो की सातवीं किन्तु प्रथम महिला प्रधानमंत्री हैं। उन्हें २६ मई सन् २०१० को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया।

वे ‘यूनाइटेड नेशनल कांग्रेस’ की नेत्री हैं। वे त्रिनिनाद एवं टोबैगो की प्रथम एटॉर्नी जनरल, कार्यवाहक प्रधानमंत्री, विपक्ष की नेता भी थी।

कमला प्रसाद भारतीय मूल की है। उनके पूर्वज बिहार के बक्सर इलाके के रहने वाले थे जो जीविका के लिए मजदूरी करने त्रिनिडाड एंड टोबैगो चले गए थे। उस जमाने में एक लड़की का इंग्लैंड जाकर उंची पढ़ाई करना आसान नहीं था। मां के प्रोत्साहन फलस्वरूप उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और कठिन परिस्थितियों से जुझते हुए अपने इस मुकाम पर पहुंची।

कमला प्रसाद बिसेसर का जन्म 22 अप्रेल 1952 को पेनल, त्रिनिडाड एंड टोबैगो में हुआ। उन्होंने आइरे हाईस्कूल से आरंभिक शिक्षा के बाद वेस्टइंडीज विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया । बीए ऑनर्स करने के बाद शिक्षा में डिप्लोमा लिया । बाद में बिजनेस एडमिनीस्ट्रेशन में मास्टर्स डिग्री ली। इंग्लैंड में जनसेवा करते हुए पढ़ाई जारी रखी। प्रारम्भ में पढ़ाने को अपना करियर बनाया। वेस्टइंडीज से लौटने के बाद जमैका के सेंट एंड्रू हाईस्कूल में पढ़ाया ।

कमला प्रसाद बिसेसर जीवनी  Biography of Kamla Persad Bissessar in Hindi

राजनीति में उनकी रूचि देर से उत्पन्न हुई। सन 1995 से वह लगातार सिपारिया लोकसभा क्षेत्र से चुनी जाती रही । वें त्रिनिडाड की अटार्नी जनरल बनी। उनकी पार्टी ‘युनाइटेड नॅशनल कांग्रेस’ के सत्ता में आने पर वह सन 2000 में शिक्षा मंत्री बनी। सन 2006 में त्रिनिडाड एंड टोबैगो में विपक्ष की नेता बनीं। आखिर उनकी मेहनत से उनकी पार्टी सत्ता में आई और 24 मई 2010 को त्रिनिडाड एंड टोबैगो की प्रधानमंत्री बनीं।

प्रधान मंत्री

24 मई 2010 को आम चुनाव में पीपुल्स साझेदारी की जीत के बाद प्रसाद-बिसेसर ने पीपुल्स नेशनल मूवमेंट की पिछली सरकार को हराकर प्रधानमंत्री पद से पदभार ग्रहण किया, जिसने शुरुआती चुनावों को बुलाया था। वह त्रिनिडाड और टोबैगो की पहली महिला प्रधान मंत्री थीं और यह पहली महिला राष्ट्रमंडल अध्यक्ष-इन-ऑफिस भी थीं। 28 अक्टूबर 2011 को वह 2011 के चॉग्म के उद्घाटन के साथ जूलिया गिलार्ड द्वारा अध्यक्ष-इन-ऑफिस के रूप में सफल हुए।

विपक्ष के नेता

7 सितंबर, 2015 के आम चुनावों के बाद 21 सितंबर, 2015 को, श्रीमती पर्दाद-बिसेसर को राष्ट्रपति एंथनी कारमोना ने विपक्ष के नेता नियुक्त किया था क्योंकि उनकी पार्टी चुनावों में हार गई थी। डॉ कीथ राउली के नेतृत्व में पीपल्स नेशनल मूवमेंट ने 41 सीटों में से 23 सीटें हासिल कर लीं, जबकि विपक्ष के गठन के लिए पर्दाद-बिसेसर की अगुआई में पीपुल्स पार्टनरशिप गठबंधन ने सदन के प्रतिनिधि में 41 सीटों में से 18 को हासिल किया।

शिक्षा और प्रारंभिक कैरियर

कमला पर्दाद-बिसेसेर दक्षिणी त्रिनिडाड के सिपरिया में पैदा हुए थे और दोनों भारतीय मूल के राज और रीता पर्दद में पैदा हुए थे। उसकी तीन बहनों हैं वह एक ब्राह्मण पंडित परिवार में पैदा हुआ था। उनके पूर्वजों का जन्म भेलपुुर, भारत से हुआ। जब पर्दाद-बिसेसेसर सोलह थे तो वे अध्ययन करने के लिए यूनाइटेड किंगडम जाना चाहते थे, लेकिन उनके पारंपरिक पिता और चाचा ने जोर देकर कहा कि वह त्रिनिदाद और टोबैगो में रहे, उनकी मां ने उन्हें उन्हें भेजने के लिए आश्वस्त किया पर्दाद-बिसेसर ने वेस्ट इंडीज विश्वविद्यालय, नॉरवुड टेक्निकल कॉलेज (इंग्लैंड), और ह्यूग वुडिंग लॉ स्कूल में भाग लिया। उन्हें बीए से सम्मानित किया गया। (ऑनर्स), शिक्षा में एक डिप्लोमा, बी.ए. कानून (ऑनर्स) और एक कानूनी शिक्षा प्रमाणपत्र 2006 में उन्होंने आर्थर लोक जैक ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिज़नेस, त्रिनिडाड से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (ईएमबीए) में कार्यकारी मास्टर्स प्राप्त किया।

Kamla Persad Bissessar

राजनीतिक सफर

कमला प्रसाद बिसेसर ‘यूनाइटेड नेशनल कांग्रेस’ की नेत्री हैं। वे त्रिनिनाद एवं टोबैगो की प्रथम एटॉर्नी जनरल, कार्यवाहक प्रधानमंत्री और विपक्ष की नेता भी रह चुकी हैं। उन्हें राष्ट्रपति जॉर्ज मैक्सवेल रिचर्ड्स ने देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री के रूप में पद की शपथ दिलाई। कमला प्रसाद के कुशल नेतृत्व में ‘यूनाइटेड नेशनल कांग्रेस’ एवं पाँच दलों के गठबंधन को संसद की 41 सीटों में से 29 सीटों पर विजय प्राप्त हुई थी।

तेर्तुलियन  कौन थे ?

भारत से सम्बन्धबिसेसर का भारत के भेलपुर गाँव, बक्सर ज़िला, बिहार राज्य से सम्बन्ध रहा है। भेलपुर उनके पूर्वजों का गाँव है। बिसेसर के परदादा ‘रामलखन’ वर्ष 1889 ई. में कोलकता (भूतपूर्व ‘कलकत्ता’) से त्रिनिदाद गए थे। एक स्टीमर टिकट के आधार पर ब्रिटिश शासन में विदेश जाने वाले यात्रियों के आवेदन की जाँच के दौरान भेलपुर गाँव का नाम प्राप्त हुआ था। इसके बाद रामलखन के खतियान और पंजीकरण कार्यालय के कागजातों के आधार पर लोग यहाँ तक पहुँच सके। इसके बाद ही बिसेसर को अपने पूर्वजों के गाँव की जानकारी मिल सकी।

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