ओसामा बिन लादेन जीवनी – Biography of Osama bin Laden in Hindi (Saudi arebia)

सऊदी अरब के एक धनी परिवार में 10 मार्च 1957 में पैदा हुए ओसामा बिन लादेन, अमरीका पर 9/11 के हमलों के बाद दुनिया भर में चर्चा में आए। यह् मोहम्मद बिन लादेन के 52 बच्चों में से 17वा थे। मोहम्मद बिन लादेन सऊदी अरब के अरबपति बिल्डर थे जिनकी कंपनी ने देश की लगभग 80 फ़ीसदी सड़कों का निर्माण किया था।

आतंकवाद के प्रति अपने जुनून के चलते ओसामा को अपनी करोड़ों की संपत्ति और सउदी अरब की नागरिकता से भी हाथ धोना पड़ा था. वह दुनिया का सर्वाधिक चर्चित और इनामी आतंकवादी था, जिसकी अमेरिका की फ़ेडरल जाँच एजेंसी और सेना सहित समूचे पश्चिमी जगत को तलाश थी. 2001 के बाद से ओसामा अमेरिका के ‘आतंक के खिलाफ युद्ध’ का सबसे बड़ा निशाना था.

ओसामा बिन लादेन की शख्सियत की ही तरह उसके  नाम का उच्चारण भी पश्चिमी जगत के लिए अबूझ रहा, कोई उसे ओसामा, कोई ओसमा, कोई उसामा, तो कोई उसम्माह बिन लादेन कहता रहा. जैसाकि ओसामा ने 1998 में दिए अपने एक इंटरव्यू में कहा था, उसका जन्म सउदी अरब के एक अमीर परिवार में हुआ था.

जब ओसामा के पिता की 1968 में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हुई तब वो युवावस्था में ही करोड़पति बन गए। सऊदी अरब के शाह अब्दुल्ला अज़ीज़ विश्वविद्यालय में सिविल इंज़ीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान वे कट्टरपंथी इस्लामी शिक्षकों और छात्रों के संपर्क में आए।

ओसामा बिन लादेन जीवनी - Biography of Osama bin Laden in Hindi (Saudi arebia)

अनेक बहसों और अध्ययन के बाद वे पश्चिमी देशों में मूल्यों के पतन के ख़िलाफ़ और इस्लाम के कट्टरपंथी गुटों के समर्थन में खड़े हो गए। इससे पहले अपने परिवार के साथ युरोप में मनाई गई छुट्टियों की तस्वीरों में ओसामा को फैशनेबल कपड़ों में भी देखा जा सकता हैं।

1980 के आसपास तत्कालीन सोव्हिएत रशिया ने अफगानिस्तान पर आक्रमण करके कब्जा किया. ये हल्ला मतलब इस्लामी धर्म और सुसंस्कृति पर ही हमला होने की भावना दुनियाभर के मुस्लिमों में निर्माण हुयी. उन्होंने रशिया के खिलाफ ‘जिहाद’ पुकारला. ओसामा बिन लादेन इस ‘जिहाद’ साथ खड़े रहे. उसके लिये पैसा इकठ्ठा किया. जिहाद के लिये आये. अफगानिस्तान, सौदा अरेबिया, अल्जेरिया, इजिप्त पाकिस्तान आदि देशो से आये हजारो युवाकोके नेतृत्व का काम धीरे धीरे ओसामा बिन लादेन के साथ में आया. 1988 – 89 के समय में लादेन ने ‘अल-कायदा’ इस संघटने की स्थापना की. इस समय में सोव्हिएत रशिया और अमरिका इनमे संघर्ष था. सशक्त हुये अफगाणी बंडखोरो के प्रतिकार के वजह से 1989 में सोव्हिएत रशिया को अफगनिस्ता से पीछे हटना पड़ा.

11 सितंबर 2001 को अल – कायदा संघटने अमरिका का आर्थिक सत्ता का का मुख्य ‘वर्ल्ड ट्रेड सेंटर’ के टॉवर्स पर और अमरिका के लष्करी सत्ता का शक्तिकेंद्र समझे जाने वाले पेटॅगॉपर हमला किया. अमरिका के विमान हाइजैक करके उन्होंने ये विध्वंस किया और अमरिका को चुनौती दी. सभी इस्लामिक दुनिया को अमरिका के खिलाफ एक होने की चुनौती लादेन ने दी।

और दहशत वाद के खिलाफ जंग शुरू हुयी. लादेन को पकड़ने के लिये अमरिका ने बहोत प्रयास किये लेकिन दस साल वो उनके हाथ नहीं आया. आखिर कार अमरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा इनके सुचना के अनुसार अमेरिकन नेव्हिसिल्स इन्होंने CIA इस गुप्तचर संस्था की मदत से लादेन को ढूंड निकाला और पाकिस्तान के ओबाटाबाद के शहर के उसके अपने घर पर हमला करके 2 मई 2011 को उसे मार डाला.

अफगानिस्तान में मुजाहिदीन की पकड़

1979 में कॉलेज पूरा होने पर Osama bin Laden लादेन पाकिस्तान चला गया और वहा पर वो अब्दुल्ला आजम के साथ मिल गया | वहा पर उसने कंस्ट्रक्शन कम्पनी के पैसे को अफगानिस्तान में चल रहे सोवियत यूनियन युद्ध में मुजैहिद्दीन को मदद करने के लिए हथियार खरीदना शूरू कर दिया | 1979 से 1989 तक चले ऑपरेशन साइक्लोन में पाकिस्तान की ISI से होते हुए 40 मुस्लिम देशो से 1 लाख मुजाहिदीनो के लिए हथियार मिले , जो पाकिस्तान को आर्थिक सहायता के रूप में अमेरिका और सऊदी अरब से मिले थे |

Osama bin Laden लादेन ने ISI एजेंसी के मुखिया और पाकिस्तान सेना में थ्रीस्टार जनरल  हमीद गुल से मिलकर उसके साथ अपने ताल्लुकात बढ़ाये | हालांकि सारा पैसा और हथियार अमेरिका से मिल रहा था लेकिन आतकंवादीयो की सारी ट्रेनिंग का जिम्मा पाकिस्तान सेना और ISI करती थी | 1984 में लादेन और आजम ने मिलकर मकतब-अल-खिदमत नामक एक संस्था बनाई जिसमे पैसा और हथियार उनको अरब देशो से अफगानिस्तान आता था | लादेन ने पाकिस्तान के खायबर पक्थुन्ख्वा ने अपने कैंप लगाये और मुस्लिम देशो से आये लोगो को ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया | उसका मकसद अफगानिस्तान में सोवियत समर्थित शासन को खत्म करना था | लादेन ने खुद ने कई मुकाबलों जैसे जाजी की लड़ाई आदि में भाग लिया था | इसी दौरान वो अरब के लोगो का आदर्श बन गया |

थियार की सोहबत

दिसंबर १९७८ में जब सोवियत संघ ने अफगानिस्तान पर हमला किया तो ओसामा ने आरामपरस्त ज़िदंगी को छोड़ मुजाहिदीन के साथ हाथ मिलाया और शस्त्र उठा लिए।अफ़ग़ानिस्तान में उन्होंने मक्तब-अल-ख़िदमत की स्थापना की जिसमें दुनिया भर से लोगों की भर्ती की गई और सोवियत फ़ौजों से लड़ने के लिए उपकरणों का आयात किया गया। अफ़ग़ानिस्तान में अरब लोगों के साथ मिलकर अभियान करते वक्त ही उन्होने अल कायदा के मूल संगठन की स्थापना कर ली थी। अफ़ग़ानिस्तान में मुजाहिदीन का साथ देने के बाद जब वो वापस साऊदी अरब पहुँचे तो उन्होंने साऊदी अरब के शासकों का विरोध किया। ओसामा का मानना था कि साऊदी अरब के शासकों ने ही अमरीकी सेना को साऊदी ज़मीन पर आने के लिए आमंत्रित किया था। मध्य पूर्व में अमरीकी सेना की मौज़ूदगी से नाराज़ ओसामा बिन लादेन ने १९९८ में अमरीका के खिलाफ़ युद्ध की घोषणा कर दी थी।

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